विषय सूची
- 1 गुरुदेव रविंद्रनाथ टैगोर की जीवनी- Ravindranath Tagore Biography in hindi
- 2 रविंद्रनाथ टैगोर की शैक्षिक दर्शन- Ravindranath Tagore Education
- 3 रविंद्रनाथ टैगोर की वैवाहिक जीवन- Ravindranath Tagore Marriage Life
- 4 रविंद्रनाथ टैगोर की रचनाए
- 5 रबिन्द्रनाथ टैगोर की उपलब्धिया
- 6 रबिन्द्रनाथ टैगोर की म्रत्यु (Rabindranath Tagore Death)
- 7
गुरुदेव रविंद्रनाथ टैगोर की जीवनी- Ravindranath Tagore Biography in hindi
रविंद्रनाथ टैगोर (Ravindranath Tagore Biography) जयंती हर साल 7 मई को मनाई जाती है . बंगाल में जन्मे वे एक महान संत और कवि भी थे. उन्होंने अपने लेखनी के द्वारा समाज में फैले कुरीतियों एवं बुराइयों को समाप्त करने की एक अलग ही चेष्टा की एवं काफी हद तक समाप्त भी किया . उनके द्वारा रचित उपन्यास आज समस्त विश्व पढ़ रहा है . रविंद्रनाथ टैगोर के अविस्मरणीय योगदान के लिए हर साल 7 मई को रबींद्रनाथ टैगोर के जन्मदिन को रबींद्रनाथ टैगोर जयंती के रूप में मनाया जाता है। आइये इस article के द्वारा हम उनके जीवन के बारे में जानने की कोशिश करते है ताकि आने वाले पीढ़ी को उनके जीवन से कुछ सीख मिल सके .
हम सबसे पहले आपको कविवर रविंद्रनाथ टैगोर के बारे संक्षेप में जानेंगे ,उसके बाद विस्तृत से पढ़ेंगे . तो चलिए start करते है :
Full Name | Ravindranath Tagore |
Nick Name | Gurudev, Kobiguru, Biswakobi and Kavivar |
Birth Date | 07 May 1861 |
Birth Place | Village.Kush, Dist.Burdwan, Kolkata, British India |
Date of Death | 07 August 1941 |
Age at the time of Death | 80 |
Death Place | Kolkata, British India |
Fathers Name | Devendranath Tagore |
Mothers Name | Smt. Sharda Devi |
Religion | Hinduism |
Nationality | Indian |
Caste | Bengali Brahman |
Occupation | Poet, Writer, Novelist, Philosopher & Reformer |
Language | Bengali and English |
Spouse | Mrinalini Devi |
Famous Books | Geetanjali |
Awards | Nobel Prize |
रविंद्रनाथ टैगोर प्रतिभा के धनी थे . इनका जन्म एक बेंगोली ब्राह्मण परिवार में कोलकता के बर्दवान जिले के कुश गांवमें जोरासांको ठाकुरवाड़ी में हुआ था . इनके पिता का नाम श्री देवेंद्रनाथ टैगोर और माता का नाम शारदा देवी था . रविंद्रनाथ टैगोर का जन्म 07 मई 1861 को पिता देवेन्द्रनाथ टैगोर और माँ शारदा देवी के घर में हुआ था . वह अपने माता-पिता के तेरहवी संतान थे .
इनके पिता अपने ब्राह्मण समाज के एक प्रतिष्ठित व्यक्ति एवं कर्ताधर्ता थे . और उनकी माता शारदा देवी एक सीधी-साधी धार्मिक और घरेलू महिला थी . सबसे छोटे होने के कारन इनका बचपन का नाम रविंद्रनाथ रखा गया और सभी इसे रबी कहकर बुलाते थे . यही बच्चा आगे चलकर एक दिन रविंद्रनाथ टैगोर के नाम से प्रसिद्ध हुआ .
रविंद्रनाथ टैगोर की शैक्षिक दर्शन- Ravindranath Tagore Education
रविंद्रनाथ टैगोर के सभी भाई बहन सभी एक से बढ़कर एक थे , कोई सिविल सेवक था, तो कोई नाटककार तो कोई उपन्यासकार तो रविंद्रनाथ भला क्यों किसी से पीछे रहते . टैगोर में विद्या के सारे लक्षण मौजूद थे . इसकी आरंभिक शिक्षा कलकत्ता के सेंट जेवियर्स स्कुल से हुई .तथा बाद में इन्होने बैरिस्टर की पढाई के लिए 1878 में लंदन चले गए और वहां जाकर इंग्लॅण्ड के ब्रिजटोन में पब्लिक स्कूल में प्रवेश लिया . रविंद्रनाथ ट्रागोरे ने लंदन विश्वविद्यालय से कानून की पढाई पूरी की और वगैर डिग्री लिए ही साल 1880 में देश लौट आए .
रविंद्रनाथ टैगोर की वैवाहिक जीवन- Ravindranath Tagore Marriage Life
रविंद्रनाथ टैगोर के माता-पिता का देहांत बचपन में ही हो गया . इनका पालन पोषण नौकरों के द्वारा किया गया . जन देखा की इन्होने लंदन से बिना डिग्री लिए वापस आ गया और पढाई में भी मन नहीं लग रहा है तो इनका विवाह 21 बर्ष की आयु में 1883 में म्रणालिनी देवी से हुआ .
रविंद्रनाथ टैगोर की रचनाए
रविंद्रनाथ टैगोर एक रचयिता, काव्य ,संगीत, नाटक तथा निबंध महारथ थे . उन्होंने महज 11 साल के उम्र से ही कविता लिखना चालू कर दिया था .और सोलह वर्ष की उम्र मे लघुकथा भी लिख दी थी . रबिन्द्रनाथ टैगोर ने अपने जीवन काल में लगभग 2230 गीतों की रचना की . भारतीय संस्कृति मे, जिसमे ख़ास कर बंगाली संस्कृति मे, अमिट योगदान देने वाले बहुत बड़े साहित्यकार थे .
इसके साथ टैगोर ने कई किताबों का अनुवाद अंग्रेज़ी में किया है. अंग्रेज़ी अनुवाद के बाद उनकी रचनाएं पूरी दुनिया में फैली और अमर हो गई. उनकी की रचनाओं में गीतांजली, गीताली, गीतिमाल्य, कथा ओ कहानी, शिशु, शिशु भोलानाथ, कणिका, क्षणिका, खेया से तामा प्रमुख हैं.
रबिन्द्रनाथ टैगोर की उपलब्धिया
रविंद्रनाथ टैगोर कि उपलब्धियाँ मानव जीवन के लिए बहुत है . जो इस प्रकार है :-
- उनकी रचनाओं में ईश्वर और इंसान के बीच मौजूद संबंध के तमाम तरह के अंश मिलते हैं, जो उन्हें इंसानियत से जोड़ते हैं. शायद ही साहित्य की कोई ऐसी विधा है, जिनमें उनकी रचना न हो – गान, कविता, उपन्यास, कथा, नाटक, प्रबंध, शिल्पकला, जैसे तमाम विधाओं में उनकी रचनाएं दुनियाभर में जानी जाती है.
- उन्होंने प्रकृति की गोद में पेड़ों, बगीचों और एक लाइब्रेरी के साथ टैगोर ने शांतिनिकेतन की स्थापना की. और यहां इन्होने विश्वभारती विश्वविद्यालय नाम से विश्वविद्यालय की स्थापना भी की.
- उनकी अनमोल कृति “गीतांजलि” के कारण उन्हें साल 1913 मे भारत सरकार ने रबिन्द्रनाथ टैगोर को “नोबेल पुरुस्कार” से सम्मानित किया गया .
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रबिन्द्रनाथ टैगोर एक ऐसा सख्स है जिनके द्वारा रचित काव्य को भारत और बंगला देश को उनकी सबसे बड़ी अमानत के रूप मे, राष्ट्रगान दिया है जोकि, अमरता की निशानी है . हर महत्वपूर्ण अवसर पर, राष्ट्रगान गाया जाता है जिसमे , भारत का “जन-गण-मन है” व बंगला देश का “आमार सोनार बांग्ला” है .
- विश्व के महान सापेक्षवाद के वैज्ञानिक अल्बर्ट आइंस्टीन से वे अपने जीवन काल में तीन बार मिले और उनसे प्रसन्न होकर उसे रब्बी टैगोर कह कर पुकारते थे . ये उनके जीवन में क्या कोई कम उपलब्धि है .
रबिन्द्रनाथ टैगोर की म्रत्यु (Rabindranath Tagore Death)
स्वामी विवेकानंद के बाद कोई था जिन्होंने विश्व धर्म संसद को दो बार संबोधित किया. ऐसे महान विभूति को हमने खो दिया . प्रोस्टेट कैंसर के चलते टैगोर का साल 1941 में 7 अगस्त कोलकाता में आखिर सांस लिया और इस प्रकार वे दुनिया से चले गए . वे आज भी अमर है क्योंकि उनकी कीर्ति अमर है . उन्होंने मानव जाती को एक नया पढ़ पढ़ाया .